Shimla, 1 October -हिमाचल प्रदेश में 74वें वन्यप्राणी सप्ताह का विधिवत शुभारंभ पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) अमिताभ गौतम ने वीरवार को किया। इस वर्ष का विषय मानव-जंतु सह-अस्तित्व (Human-Animal Co-existence) रखा गया है। कार्यक्रम की शुरुआत वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की गई, जिसमें 2 से 8 अक्तूबर तक चलने वाले आयोजनों पर विस्तार से चर्चा हुई। इस अवसर पर प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण का संकल्प लिया गया।
गौतम ने कहा कि कई वन्य प्रजातियां तेजी से लुप्त हो रही हैं, जिन्हें बचाने के लिए विभाग के साथ-साथ आम लोगों को भी आगे आना होगा। उन्होंने बताया कि हिमाचल वाइल्डलाइफ विंग ने नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन, बैंगलुरू के सहयोग से “स्टेटस ऑफ स्नो लेपर्ड इन हिमाचल-2025” रिपोर्ट तैयार की है। इसमें प्रदेश के 26,112 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में किए गए अध्ययन के आधार पर हिमाचल में 83 बर्फानी तेंदुए दर्ज किए गए हैं।इस अध्ययन में हिमाचल में पहली बार दो नई प्रजातियों — वूल्ली फ्लाइंग स्क्विरेल (Woolly Flying Squirrel) और पल्लास कैट (Pallas Cat) — की भी पहचान हुई है।
रिपोर्ट का विमोचन
कार्यक्रम में “स्टेटस ऑफ स्नो लेपर्ड इन हिमाचल प्रदेश-2025” पुस्तिका का विमोचन किया गया। गौतम ने बताया कि हिमाचल प्रदेश का शीत मरुस्थल क्षेत्र स्पीति, हाल ही में यूनेस्को के मैन एंड बायोस्फेयर रिज़र्व नेटवर्क में शामिल हुआ है, जो प्रदेश के लिए गौरव की बात है।
8 अक्तूबर तक होंगे कई कार्यक्रम
वन्यप्राणी सप्ताह के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताएं और गतिविधियां आयोजित की जाएंगी — जैसे पेंटिंग, निबंध लेखन, फोटोग्राफी, भाषण, डिबेट, बर्ड वॉचिंग और छोटी पैदल यात्राएं। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इस सप्ताह को प्रदेश के शिक्षण संस्थानों, महिला मंडलों, पंचायती राज संस्थाओं और सरकारी विभागों के सहयोग से व्यापक स्तर पर मनाया जाए।
कार्यक्रम में सीएफ वाइल्डलाइफ प्रिति भंडारी, डीएफओ शिमला डॉ. शाह नवाज भट्ट, डीएफओ अनीता भारद्वाज, जाइका वानिकी परियोजना निदेशक श्रेष्ठा नंद शर्मा, एसीएफ विनोद रंटा समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।