जिला परियोजना अधिकारी (आत्मा), कांगड़ा डॉ. राज कुमार भारद्वाज ने बताया कि वर्ष 2024-25 में प्राकृतिक खेती से जुड़े 358 किसानों से 836 क्विंटल गेहूं और 53 क्विंटल हल्दी की खरीद की गई। प्राकृतिक गेहूं का समर्थन मूल्य ₹60 प्रति किलो और मक्की का ₹40 प्रति किलो तय किया गया है। प्राकृतिक आटा और दलिये की बढ़ती मांग के चलते सारा स्टॉक कुछ ही दिनों में बिक गया।उन्होंने कहा कि विभाग किसानों को प्रशिक्षण, प्रोत्साहन राशि और विपणन सहायता भी उपलब्ध करा रहा है। पिछले तीन वर्षों में हल्दी उत्पादन से जुड़े किसानों की संख्या 13 से बढ़कर 800 हो गई है, जो जिले में प्राकृतिक खेती की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।
किसानों सुरेश कुमार, कमला देवी,मीनाक्षी और अलका का कहना है कि प्राकृतिक खेती से उनकी आय बढ़ी, मिट्टी की उर्वरता सुधरी और अब उन्हें रासायनिक खादों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।उपायुक्त हेम राज बैरवा ने कहा कि कांगड़ा भविष्य में देश का “प्राकृतिक खेती मॉडल जिला” बन सकता है।उन्होंने बताया कि सरकार ‘लाइफसाइकिल अप्रोच’ के तहत किसानों को हल्दी, मक्की और पशुपालन से जोड़ रही है, ताकि कांगड़ा के शुद्ध उत्पाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच सकें।कांगड़ा में किसानों की बढ़ती रुचि ने प्राकृतिक खेती को नई पहचान और स्थायी आजीविका का मार्ग बना दिया है।