अनिल कुमार, किन्नौर: विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फ़तह करना एक पर्वतारोही के लिए गौरव की बात है। वहीं जिस प्रदेश के पर्वतारोही ने इस उपलब्धि को हासिल किया हो तो उस प्रदेश के लिए भी यह एक बड़ी उपलब्ध, लेकिन अफ़सोस की हिमाचल प्रदेश में ऐसा बिल्कुल नहीं है। यहां की सरकारें युवाओं को खेल ओर फिट इंडिया जैसे कार्यक्रमों से जोड़ने की बात तो करती है लेकिन प्रदेश में जब कोई माउंट एवरेस्ट या अन्य दुर्गम चोटियों को फ़हत कर उपलब्धि हासिल करता है तो उन्हें सरकार नजरअंदाज कर देती है। ऐसे ही एक एवरेस्टर अमित नेगी भी है जिन्हें सरकार और प्रशासन ने उनकी उपलब्धियों के बाद भी नजरअंदाज कर दिया है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि अमित ने जब कंचनजंगा की पहाड़ी को फ़तह किया तो उसके बाद भी सरकार की ओर से इनका फ्लैग इन भी नहीं किया गया। सरकार और प्रशासन की इस अनदेखी से निराश अमित ने दो माह बाद बिना फ्लैग इन के ही किन्नौर में वापसी कर ली है।
कंचनजंगा को फतह कर वापिस किन्नौर लौटने पर एवरेस्टर अमित नेगी ने कहा कि उन्होंने एवरेस्ट के बाद कंचनजंगा की ऊंचाई को फ़तह किया लेकिन इस उपलब्धि के बाद भी सरकार की ओर से उन्हें प्रदेश के अंदर प्रवेश के लिए फ्लैग इन नहीं किया गया है।हालांकि अमित नेगी की तरफ से भी सरकार के कुछ नुमाइंदो से बात की गयी, लेकिन आश्वासनों के बाद ही ढाई महीने हिमाचल से बाहर बीत गए थे और घर की समस्याओं के चलते अब वह बिना फ्लैग इन के अपने घर बटसेरी लौट आएं है। भले ही उन्होंने वापसी कर ली है लेकिन सरकार और जिला प्रशासन की अनदेखी से वह खुद ओर उनके गांव के सभी ग्रामीण भी बेहद निराश है ।
बता दे कि जिला किन्नौर के सांगला तहसील के बटसेरी गांव के अमित नेगी प्रदेश के पहले सिविलियन माउंट एवरेस्टर है। अमित नेगी ने अबतक भारत के उत्तराखंड के त्रिशूल, हिमाचल के देव टिब्बा, नेपाल में स्थित लेबूचे, उत्तराखंड के डीकेडी, नेपाल स्थित कंचनजंगा, व विश्व के सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतेह किया है। इतना ही नहीं उन्होंने हिमाचल व अन्य प्रदेशों की छोटी-छोटी कई पहाड़ियों को फ़तेह किया है। इसके अलावा उन्होंने छात्र जीवन मे बॉलीबाल मे दो बार व हाई एलटिट्युड मेराथन मे दो बार गोल्ड मैडल हासिल किए है। इसके अलावा उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों के छोटे बड़े पर्वतों को फतह करने के अलावा नेपाल में स्थित विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को भी 31 मई 2021 को फतह किया था जिसके बाद उन्होंने इस वर्ष 7 मई को भारत की सीमा पर स्थित कंचनजंगा पर्वत फतह कर देश और प्रदेश क़ा नाम भी रोशन किया है। उनकी उपलब्धियों को प्रदेश सरकार की ओर से नहीं सराहा जा रहा है। ना तो जिला स्तर पर ना ही राज्य स्तर पर उन्हें अभी तक अपनी उपलब्धियों को लेकर कोई सम्मान सरकार या जिला प्रशासन से मिला है। यहां तक जी किन्नौर के अंदर अभी हालही मे हुए राज्य स्तरीय क्राफ्ट मेले में भी प्रशासन ने अमित नेगी को ना तो आमंत्रित किया न ही कोई सम्मान उन्हें दिया गया।
15 मार्च को विधानसभा से वन मंत्री ने अमित को कंचनजंगा एक्सपीडिशन के लिए किया था फ्लैग ऑफ
इस वर्ष 15 मार्च को शिमला विधानसभा के बाहर से प्रदेश सरकार के वन मंत्री राकेश पठानिया ने एवरेस्टर अमित नेगी को कंचनजंगा की चढ़ाई के लिए फ्लैग ऑफ किया था जिसके बाद अमित नेगी ने 7 मई को कंचनजंगा की पहाड़ी को फतह कर लिया लेकिन न तो सरकार न ही जिला प्रशासन ने उन्हें सम्मानित किया न ही उन्हें कोई बधाई संदेश दिया ना उनका फ्लैग इन प्रदेश में किया गया।
यह रहती है प्रक्रिया
अन्य प्रदेशों में एवरेस्टर व अन्य पहाड़ी फतह करने वाले पर्वतारोहियों को एक्सपीडिशन की शुरुवात ने फ्लैग ऑफ किया जाता है और जब अपना टारगेट पर्वतारोही पूरा कर लेते है तो सरकार उनका फ्लैग इन करने के साथ ही उन्हें सम्मानित भी करती है लेकिन हिमाचल प्रदेश में ऐसा नहीं है।