राहुल चावला , धर्मशाला | केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में शुक्रवार को तीन दिवसीय द सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ द मल्टी-एथनिक लिटरेचर ऑफ द वल्र्ड (मेलो) अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ। सम्मेलन में भाग लेने मेलो की अध्यक्ष मंजू जैदका विशेष रूप से धर्मशाला पहुंची हैं। पत्रकारों से बातचीत में मंजू जैदका ने कहा कि मेलो अध्यक्ष मंजू जैदका ने कहा कि हमारा विषय साहित्य होता है, जिस पर जोर दिया जाता है। हर वर्ष साहित्य के अलग-अलग रूप पेश किए जाते हैं। कांफ्रेंस में इस बार का विषय अनुकूलन की चुनौतियां : परंपरा और नवाचार का अंतर्संबंध है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि किसी साहित्य का रूपांतर किया जाए तो उसमें बदलाव आते हैं। किसी किताब की कहानी पर फिल्म बनाई जाए, तो उसमें कई बदलाव आते हैं, यह बदलाव क्यों आते हैं, जब इस पर शोधार्थी व विद्यार्थी अध्ययन करते हैं और अपने विचारों को व्यक्त करते हैं तो उनका आत्मविश्वास और ज्ञान बढ़ता है। शोधार्थी इस बारे में चर्चा करते हैं तो उनका व्यक्तित्व निखरता है और उन्हें एक्सपोजर मिलता है, साथ ही सीनियर व जूनियर शोधार्थियों के एक साथ होने से नेटवर्किंग भी हो जाती है, जो कि आज के दौर में बेहद जरूरी है।
बारह देशों के 200 डेलीगेट पहुंचे, 150 शोध पत्र होंगे प्रस्तुत
केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कहा कि मेलो अध्यक्ष के माध्यम से केंद्रीय विश्वविद्यालय को मेलो कांफ्रेंस करवाने का मौका मिला है। तीन दिवसीय कांफ्रेंस में 12 देशों के 200 से अधिक डेलीगेटस आए हैं और इसमें 150 के लगभग शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।
बेहतरीन शोध पत्र पर सम्मान के साथ देंगे पुरस्कार
प्रो. बंसल ने कहा कि भारतीय लोक परंपरा को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय हर विषय में सिरिज आफ बुक निकाल रहा है, ऐसे में मेलो कांफ्रेंस में मूल्य आधारित शिक्षा पर जो बेहतरीन शोध पत्र होगा, उसे कांफ्रेंस के अंतिम दिन सम्मानित करने के साथ नकद पुरस्कार दिए जाएंगे, इसके लिए प्रो. रोशन एक कमेटी गठित करेंगे।
मेलो कॉन्फ्रेंस, शोधार्थियों व विद्यार्थियों के लिए अच्छा मंच
प्रो. बंसल ने कहा कि मेलो कांफ्रेंस जैसे आयोजन केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोधार्थियों व विद्यार्थियों के एक्सपोजर के लिए एक अच्छा मंच है। इसी के चलते केंद्रीय विश्वविद्यालय ने अपने शैक्षणिक स्टाफ को विदेश भेजने के लिए राशि तय की है, जिससे कि केंद्रीय विश्वविद्यालय का शैक्षणिक स्टाफ बाहर जाए, बाहरी डेलीगेटस से मिले, जिससे उन्हें एक्सपोजर मिले। तीन दिवसीय मेलो कांफ्रेंस में जो मंथन होगा, उसका जो निष्कर्ष निकलेगा, उसका विद्यार्थियों व शोधार्थियों के लिए विशेष महत्व होगा।